उत्तराखंड

उत्तराखंड के 84 विद्यालयों का “प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया” के तहत हुआ चयन

“प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री)” योजना के तहत दूसरे चरण में उत्तराखंड के 84 विद्यालयों का चयन किया गया है। जिस पर प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने पीएम मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का आभार जताया है।

केंद्र सरकार ने दी 84 विद्यालयों को मंजूरी

केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड ने विद्यालयों के ढांचागत विकास एवं नवाचारी गतिविधियों के लिए 61.19 करोड़ की धनराशि को मंजूरी दे दी है। पीएम श्री योजना के अंतर्गत द्वितीय चरण में जनपद ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ तथा अल्मोड़ा में 10-10 विद्यालयों का चयन किया गया है। जबकि नैनीताल और चमोली में 8-8, पौड़ी में सात, देहरादून, हरिद्वार व उत्तरकाशी में 6-6, चम्पावत और टिहरी में 4-4, बागेश्वर में 3 और रूद्रप्रयाग में 2 विद्यालयों का चयन पीएम-श्री योजना के लिए हुआ है। विभागीय मंत्री ने बताया कि इससे पहले प्रथम चरण में प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड ने प्रदेश के 141 विद्यालयों का चयन पीएम-श्री योजना के लिए किया था। इसके साथ ही इस योजना के तहत अब प्रदेश में कुल 225 विद्यालयों का चयन किया जा चुका है।

आधुनिक सुविधाओं से लैस स्कूल

पीएम-श्री योजना के तहत चयनित स्कूलों आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे। आईसीटी एवं डिजिटल सुविधा, डिजिटल टीवी, डिजिटल बोर्ड, ऑडियो-विजुअल सिस्टम, बैण्ड सेट, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी। इसके अलावा चयनित स्कूलों में 21 अतिरिक्त कक्षा कक्ष, 11 कंप्यूटर कक्ष, 19 फिजिक्स प्रयोगशाला, 9 रसायन विज्ञान प्रयोगशाला, 9 जीव विज्ञान प्रयोगशाला आदि का निर्माण किया जायेगा। इसके साथ ही ग्रीन स्कूल के तहत डस्टबिन, एलईडी लाइट की भी व्यवस्था की जायेगी। विभागीय मंत्री ने बताया कि इन विद्यालयों में आधुनिक गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा। विद्यालयों में बैगलेस डे, वार्षिकोत्सव, समर कैम्प, एक्सपोजर विजिट, एक्सपर्ट टॉक व स्वच्छता पखवाड़ा जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा।

बता दें कि “प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री)” भारत सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है। इसका उद्देश्य 14,500 से अधिक पीएम श्री स्कूल स्थापित करना है, जिनकी देखरेख केंद्र सरकार, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें, स्थानीय निकाय और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) करेंगे। इस योजना का उद्देश्य छात्रों को इस तरह से पोषित करना कि वे सक्रिय, उत्पादक व योगदान देने वाले नागरिक बन सकें।

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