उत्तराखंड

जोशीमठ में धार्मिक आयोजन में ढोल न बजाने पर दलित को लगाया 5000 रुपए का जुर्माना

प्रदेश में एक धार्मिक आयोजन के दौरान ढोल न बजाने पर दलित को 5000 रुपए जुर्माना लगाया गया था, जिसके बाद सवर्ण जाति और अनुसूचित जाति के ग्रामीणों के बीच विवाद बढ़ गया है। अनुसूचित जाति के ग्रामीणों ने सवर्णों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें बहिष्कार करने और हक-हकूकों से वंचित रखने की धमकी दी जा रही है। पुलिस ने इस मामले में 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

ढोल न बजाने पर 5000 रुपये का दिया जुर्माना

जानकारी के अनुसार यह मामला जोशीमठ के सुभाई-चांचड़ी गांव का है। गौरतलब मई को बैसाखी के पर्व पर अनुसूचित जाति के ग्रामीण पुष्कर लाल को गांव में ढोल बजाने के लिए कहा गया था। इसी बीच ढोल वादक का स्वास्थ्य बिगड़ गया। जिस कारण वे ढोल बजाने की जिम्मेदारी पूरी न कर सका। इस पर गांव के सवर्णों ने नाराजगी जाहिर करते हुए पंचायत बुलाकर पुष्कर लाल पर 5000 रुपये का जुर्माना लगा दिया। वहीं सवर्ण जाति के ग्रामीणों का कहना है कि गांव में मेले के दौरान होने वाले विवाद को रोकने के लिए पंचायत हर साल निर्णय लेती है। जो ग्रामीण मेले में झगड़ा करेगा या शराब पीकर आएगा, वह दंड का भागीदार होगा। यह व्यवस्था सालों से चली आ रही है।

बहिष्कार व हक-हकूकों से वंचित करने की धमकी का आरोप

वहीं ढोल वादक पुष्कर लाल ने सवर्ण जाति के ग्रामीणों के खिलाफ दर्ज शिकायत में बताया कि 3 मई को 5000 जुर्माने की रकम जमा करने पर भी बहिष्कार व हक-हकूकों से वंचित करने की धमकी दी जा रही है। आरोप है कि ग्रामीणों ने गांव में पंचायत बुलाकर अनुसूचित जाति के परिवारों का बहिष्कार करने और जल, जंगल, जमीन से वंचित रखने का आदेश जारी कर दिया है। जोशीमठ कोतवाली के प्रभारी राकेश भट्ट ने बताया कि गांव के 28 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इसी के अतिरिक्त पीड़ित पक्ष को मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

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