अफगानिस्तान: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में अफगानिस्तान के साथ संबंध को लेकर बयान दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में कहा कि, अफगानिस्तान के प्रति उसका दृष्टिकोण हमेशा अफगान लोगों और नई दिल्ली के साथ ‘विशेष संबंध’ वाला रहा है, और भारत उनकी मदद मानवीय सहायता के आधार पर करता रहेगा। बीते साल 15 अगस्त से तालिबान शासन के अधीन है अफगान। जब अफगान कट्टरपंथी आतंकवादी समूह ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की निर्वाचित सरकार को हटा दिया और उन्हें देश से भागने और संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि, अफगानिस्तान के सबसे बड़े क्षेत्रीय विकास भागीदार के रूप में भारत अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करने के लिए तैयार है, ताकि अफगान लोगों को मानवीय सहायता के त्वरित प्रावधान को सक्षम बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि, हमारे विशेष संबंध के आधार पर भारत, अफगानिस्तान के लोगों का मार्गदर्शन करना जारी रखेगा। हम अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर पूरी तरह से कायम हैं।
भारतीय राजनयिक ने कहा, भारत ने अफगान लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं और COVID टीकों की एक मिलियन खुराक उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। भारत पहले ही मानवीय सहायता के तीन शिपमेंट भेज चुका है, जिसमें दवाएं और COVID दवाएं शामिल हैं, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और काबुल में इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल को सौंप दिया गया था।
तिरुमूर्ति ने दोहराया कि मानवीय सहायता तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए, और सहायता का वितरण गैर-भेदभावपूर्ण और सभी के लिए सुलभ होना चाहिए, चाहे जातीयता, धर्म या राजनीतिक विश्वास कुछ भी हो। अफगानिस्तान वर्तमान में एक मानवीय आपदा के बीच में है, क्योंकि कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद काबुल को सहायता निलंबित कर दी है, या काफी हद तक कटौती कर दी है।