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बांस को बनाया प्लास्टिक का विकल्प, खड़ी की दस करोड़ की कंपनी

प्लास्टिक की खोज हमारी जरूरतों और सुविधा के लिए हुई थी, लेकिन अब यही हमारी और पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। पृथ्वी पर प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक ही सबसे को बड़ा कारक है। ऐसे दों इससे छुटकारा दिलाने के लिए बायोक्राफ्ट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने खास तरह के बैंबू ग्रेन्युल (बांस के दाने) तैयार किए हैं। इनसे प्लास्टिक की तरह कोई भी उत्पाद बनाया जा सकता है। इस तरह प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर बांस काफी उपयुक्त साबित हो रहा है। खास प्रोडक्ट के लिए कंपनी को पेटेंट ग्रांट हो चुका है।

आईआईएम काशीपुर के इंक्यूबेशन सेंटर फीड ने इस स्टार्टअप को मार्केटिंग में सहयोग किया है। बायोक्राफ्ट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अनुभव मित्तल ने बताया कि बांस प्रकृति के लिए काफी लाभदायक होता है। इसका कार्बन फुटप्रिंट भी कम है। 2022 में कंपनी की यूनिट शुरू की गई थी, जिसकी वैल्यूएशन दस करोड़ रुपये है। अगले पांच वर्ष में कंपनी को 500 करोड़ तक ले जाना है।

ऐसे तैयार होंगे बांस के प्रोडक्ट

बांस से प्रोडक्ट बनाने के लिए इसे तय तापमान 170-180 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करके पिघलाना होता है। उस तरल पदार्थ को ग्रेन्यूलेटर मशीन में डालकर बांस के दाने तैयार किए जाते हैं। इन दानों को इजेक्शन मोल्डिंग के जरिये मशीन में डालकर प्रोडक्ट तैयार किया जाता है। प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली मशीन में ही बांस के प्रोडक्ट भी बनाए जा सकते हैं। इसके लिए अलग से कोई मशीन लगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि इसकी कीमत 30 प्रतिशत अधिक होती है, लेकिन पर्यावरण के लिए यह काफी लाभदायक होता है।

प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद के तौर पर बांस के इस्तेमाल से किसानों को भी किसानों मिलेगा को काफी लाभ मिलेगा। जिन किसानों के खेत उपजाऊ नहीं हैं, वह भी बांस लाभ की खेती कर सकते हैं। प्रोडक्ट बनाने के लिए बांस की डिमांड भी हमेशा रहेगी। ऐसे में किसान भी अपनी खाली जमीन पर खेती करके पैसा कमा सकेंगे। आईआईएम काशीपुर के फीड इंक्यूबेशन सेंटर ने इस स्टार्टअप को 25 लाख रुपये की ग्रांट दी थी। साथ ही मार्केटिंग व अन्य चीजों में भी मदद की।

कौन हैं अनुभव: अनुभव ने आईआईटी दिल्ली से पॉलिमर इंजीनियरिंग की है। वह विदेश में रहकर सस्टेनेबल मैटेरियल पर काम कर रहे हैं। भारत में भी इस पर कुछ खास काम नहीं हो रहा था। इसी के चलते वह भारत आए और 2019 में कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया। वर्ष 2022 में कोटद्वार में उत्पाद यूनिट की शुरुआत की।

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