देहरादून: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में 46 हजार 837 मतदाताओं ने नोटा विकल्प को चुना। यानी कुल मतदान करने वालों में से 0.87 प्रतिशत मतदाताओं को कोई भी दल या नेता इस लायक नहीं लगा कि वे उसे वोट देते। इससे नोटा ने कई प्रत्याशियों की जीत की उम्मीदें खत्म कर दीं, तो कईयों को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया। जैसे अल्मोड़ा में हार-जीत का अंतर 141 वोटों का रहा। जबकि, यहां 398 लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। इसी प्रकार कई और सीटों पर भी नोटा ने हार-जीत का खेल बिगाड़ा है। आपको बता दें कि मतदाताओं को चुनाव आयोग ने कोई भी प्रत्याशी पसंद न होने पर नन ऑफ द अबव (नोटा) का विकल्प दिया हुआ है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 47 हजार लोगों को पसंद नहीं आया कोई नेता।
काऊ की सबसे बड़ी जीत, तिवारी की सबसे छोटी जीत
विधानसभा चुनाव में भाजपा के रायपुर प्रत्याशी उमेश शर्मा काऊ की सबसे बड़ी 30052 वोटों के अंतर से जीत हुई। जबकि, अल्मोड़ा में कांग्रेस के प्रत्याशी की सबसे कम 141 वोटों से जीत हुई।