आजकल बस प्रकृति से प्रेम है तो बस सोशल मीडिया पर फोटो डालने तक सीमित है। पर्यावरण दिवस पर बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा हर कोई पौंधा लगाते हुए आपको जरूर दिख जाएगा सोशल मीडिया पर, परन्तु कोई उस पौंधे को दुबारा देखने तक नहीं जाते यह है हमारी हकीकत। हम लोगो अब समझना होगा कि “प्रकृति है तो हम है”। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने से बारिश का अभाव होता है। पेड़ों से केवल लाभ ही होता है जो वातावरण में फैली दूषित वायु को शुद्ध करता है। पेड़ अपने आसपास के वातावरण दूषित वायु की स्वच्छता के साथ-साथ भूमि को भी ठंडा रखता है।
आधुनिक भारत के आधुनिक प्लानर सड़क हो, हाईवे, पुल या कुछ भी बनाने के लिए सबसे पहले पुराने से पुराने पेड़ो की बलि लेने को तत्पर रहते है। कहने को तो पर्यावरण दिवस मनाया जाता है लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हम लोग पर्यावरण के लिए कर तो पाएँ हैं बस दिखावे के लिए एक दिन का पर्यावरण दिवस। कैसी विडम्बना है कि हम लोग विकास तो करना चाहते है परन्तु पर्यावरण के बारे में बिना सोचे समझे। हजारों पुराने पेड़ों को काटने में तनिक भी नहीं सोचा जाता है ना ही विचार विमर्श किया जाता है। सोच इतनी ही विकसित हो पाई है कि उन पेड़ो की जगह नए पेड़ लगा दिए जाएंगे। हम लोग यह भली भांति जानते है कि जितनी कार्बन डाइऑक्साइड लेने की क्षमता पुराने एक पेड़ में होती है उस मुकाबले नए पेड़ की नहीं होती है। यह सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रहे हैं या फिर जान बूझकर पेड़ों की अंधा धुन कटाई कर रहे हैं।
अगर समुंद्र के ऊपर पूल बनाकर सड़क बनाई जा सकती है तो क्या फिर जंगल को बिना ज्यादा हानि पहुंचाए सड़क बनाने का विकल्प नहीं सोचा जा सकता है। इस बात को तो सभी जानते है कि अगर हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो प्रकृति भी तनिक नहीं सोचेगी हमारे साथ खिलवाड़ करने से। इस बात का हम लोगो को बहुत बार प्रकृति के द्वारा बताने का प्रयास किया जा चुका है। फिर भी हम लोग प्रकृति के लिए जागरूक नहीं बन पाए हैं।
पेड़ों के लगातार कटान के चलते मनुष्य के साथ जीव-जन्तुओं के लिए भी खतरा है। बहुत सी प्रजातियों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। ये हमें आक्सीजन ही नहीं देते बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड भी खत्म करते हैं।यह बात हम लोगो को समझनी पड़ेगी कि अगर प्रकृति है तो हम लोग है वरना कुछ नहीं। निसंदेह हमारे देश ने पर्यावण के लिए कई संस्थाएं बनाई है परन्तु अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि पर्यावरण के बारे में सोचने वाला कोई नहीं है, प्यार करने वाला कोई नहीं है। सड़क बनाने से पहले उन लोगो को देख लेना चाहिए जो लोग इमारत के अंदर से भी सड़क बना देते हैं। विनाश करके विकास करना यह शायद बस कुछ लोगो को ही पसंद होगा, विकास भी जरूरी है परन्तु पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किया गया विकास ही सर्वोपरि है।