31 मार्च के बाद समाप्त हो जाएंगी 664 कर्मचारियों की सेवाएं

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देहरादून: उत्तराखंड में कम होते कोरोनावायरस के मामलों से जहां एक और आम जनमानस में राहत की सास ली है तो वही इस जाती हुई बीमारी ने 664 स्वास्थ्य कर्मियों के आगे रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है। 1 अप्रैल से इस आंकड़े में शामिल डॉक्टर फार्मासिस्ट लैब टेक्नीशियन और दूसरे संबंधित स्वास्थ्य कर्मी बोरिया बिस्तर बांध कर घर पर बैठेंगे।

जी हां! यह कोई मजाक नहीं है बल्कि एक ऐसा कड़वा सत्य है जो उत्तराखंड में 1 अप्रैल के बाद नजर आएगा। 2 वर्ष पूर्व कोरोना के बढ़ते हुए मामलों एवं मैनपावर के अभाव को देखते हुए आउटसोर्सिंग से 664 स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना उन्मूलन मिशन के लिए नौकरियां दी गई थी। इनमें बीएएमएस डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एंबुलेंस कर्मी को दूसरे कर्मचारी शामिल थे। इधर उत्तराखंड में कोरोनावायरस के मामले कम हुए तो इनकी नौकरियों पर भी संक्रमण फैल गया। राज्य सरकार ने पिछले दिनों ही ऐसे सभी कर्मचारियों को 31 मार्च के बाद नौकरी से बाहर करने का आदेश जारी कर दिया है।

सरकार के इस फैसले से इन कर्मचारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि उम्मीद की जा रही थी कि राज्य सरकार आउटसोर्सिंग के माध्यम से ही इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी दूसरी इकाइयों में समायोजित करने का फैसला लेगी लेकिन इसके उलट सीधे-सीधे फरमान इन 664 कर्मचारियों को बाहर करने का ले लिया गया। यह फरमान उन परिस्थितियों में भी काफी हैरान कर देने वाला है जबकि भाजपा ने चुनाव से पूर्व अपने घोषणा पत्र में उत्तराखंड के युवा बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन सरकार बनने से चंद दिन पहले बेरोजगारी का अल्टीमेटम जारी कर दिया गया।