देहारादून: मामला यह की यूजी के छात्रों के दूसरे सेमेस्टर के बेक पेपर को गढ़वाल यूनिवर्सिटी द्वारा कराया नहीं जाता है। बस आश्वासन देकर टाल दिया जाता है जिसके कारण बच्चे अपना फ़र्स्ट अटैम्प्ट ( first attempt) नहीं दे पाते हैं। आपको बता दे की बैक पेपर को क्लियर करने के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा तीन अटैम्प्ट दिए जाते हैं। जिसमे से एक अटैम्प्ट दिया नहीं जाता है परन्तु उनके तीन अटैम्प्ट में से एक अटैम्प्ट को मान जरूर लिया जाता है और इस बार सबको तीसरा अटैम्प्ट ऑनलाइन अपडेट कर दिया जाता है।
किसी कारणवर्स कई ऐसे छात्र हैं जो इस बार ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भर नहीं पाये हैं। अगर वे लोग इस बार परीक्षा में बैठ नहीं पाए तो उनकी मार्कसीट एक रद्दी के समान हो जाएगी। उनकी इतने साल की मेहनत बेकार चली जाएगी।यह समस्या को लेकर कुछ छात्र गढ़वाल यूनिवर्सिटी जाते हैं ताकि उनकी बात सुनी जाएगी उनकी समस्या का हल दिया जाएगा। मगर हैरान करने वाली बात है कि यूनिवर्सिटी ऐसा कोई नहीं है जो उनकी बात सुने। आखिर यूनिवर्सिटी है किसके लिए? यह बहुत बड़ा सवाल बनता है। सब एक ही नाम लेते हें इग्जाम कंट्रोलर (exam controller) जो की अपने आप में ही एक दुनिया है जिनको ये तक नहीं पता है की छात्रों से बात कैसे की जाती है या यह भी कह सकते हैं करनी ही नहीं आती है। बात तो करना दूर सुनी ही नहीं जाती है उनकी समस्या और भगा दिया जाता है अपने कमरे से। क्या ऐसा बर्ताव मान्य है एक इग्जाम कंट्रोलर (exam controller) को?
यूजी के इग्जाम ऑनलाइन पोर्टल खोलने के लिए कई छात्रों द्वारा विनती कि जाती है परंतु उनका दिल नहीं पसीजता और खोलने से मना कर दिया जाता। यह भी नहीं सोचा जाता कि छात्रों का भविष्य खराब हो जाएगा। वहीं उसी दिन शाम को पीजी के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोल दिया जाता है कारण पूछने पर बताया नहीं जाता बोला जाता है कोई समस्या थी। मतलब साफ है उनकी समस्या, समस्या है परंतु छात्रों कि समस्या उनकी समस्या नहीं है। छात्रों द्वारा वाइस चान्सेलर को ईमेल भी किए गए हैं परंतु कोई जवाब नहीं मिला है अभी तक।