राष्ट्रीय

नागरिक उड्डयन क्षेत्र के माध्यम से लोगों, संस्कृति और समृद्धि को जोड़ने का काम किया जा रहा है – प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली: दिल्ली में आयोजित दूसरे एशिया-प्रशांत मंत्री-स्तरीय सम्मेलन के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली घोषणापत्र को सर्वसम्मति से पारित किए जाने की घोषणा की। इस सम्मेलन का आयोजन 11 से 12 सितंबर तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के सहयोग से किया गया।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में 29 देशों के मंत्रियों, नीति निर्माताओं और आईसीएओ समेत 8 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना, उभरती चुनौतियों का सामना करना और नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देना था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में भारत की तकनीकी और अवसंरचनात्मक प्रगति को साझा करते हुए नागरिक उड्डयन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस क्षेत्र को और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में 15 प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं, जो वैश्विक औसत से अधिक हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत उड्डयन विशेष देश से उड्डयन समावेशी देश बन गया है और इस क्षेत्र के माध्यम से लोगों, संस्कृति और समृद्धि को जोड़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने एक ‘अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सर्किट’ बनाने की संभावना पर भी चर्चा की, जिससे नागरिक उड्डयन क्षेत्र, यात्रियों और संबंधित देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने प्रधानमंत्री की समावेशिता और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और कहा कि भारत 2047 तक 350-400 हवाई अड्डों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि भारत न केवल सहयोगात्मक प्रयासों का समर्थन करता है, बल्कि उनका नेतृत्व भी करता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदर्शित हुआ।

आईसीएओ परिषद के अध्यक्ष सल्वोतोर ने सुरक्षा और संरक्षा के उच्च स्तरों को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल ने सम्मेलन में भाग लेने के अनुभव को उत्साहजनक बताया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव श्री वुमलुनमंग वुलनाम ने सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण को भविष्य के लिए सशक्त मार्ग बताया।

सम्मेलन के दौरान, छोटे देशों की सहायता के लिए प्रशांत लघु द्वीप विकासशील देश संपर्क कार्यालय की स्थापना की प्रस्तुति भी की गई। इसके अलावा, आईसीएओ और शिकागो कन्वेंशन की 80वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें इस संगठन की भूमिका को मान्यता दी गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *