Sunday, September 8, 2024
उत्तराखंड

अपनी खोज को औद्योगिक धरातल पर उतारने पहुंचे युवा उद्यमी

वैश्विक निवेशक सम्मेलन में प्रदेश के युवा अलग-अलग क्षेत्रों की अपनी खोज को औद्योगिक धरातल पर उतारने की ख्वाहिश लेकर पहुंचे। किसी ने सबसे सस्ती ई-बाइक्स बना दी है तो किसी ने किसानों का मददगार फार्मिंग ड्रोन। किसी ने उद्योगों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन से बचाव का सिस्टम तैयार किया है तो किसी ने उद्योगों में भारी वजन उठाने के लिए मोबाइल रोबोट। एक रिपोर्ट…

इंसान नहीं रोबोट उठाएगा उद्योगों में 2000 किलो सामान

हरिद्वार के स्टार्टअप उमा रोबोटिक्स के संस्थापक सुचित शर्मा मोबाइल रोबोट लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि ये रोबोट 200 से 2000 किलो तक वजन उठा सकते हैं। एक बार इन्हें कमांड देने के बाद ये ऑटो मोड में सामान पहुंचा सकता है। बीच में कोई बाधा आने पर खुद सिचुएशन को हैंडल करेगा। सिडकुल हरिद्वार के अलावा दिल्ली के कई उद्योगों में उनके मोबाइल रोबोट चल रहे हैं। सुचित इससे पहले बर्लिन में कोविड के दौरान रोबोट से सबसे पहली डिलीवरी करके सुर्खियों में आ चुके हैं। जर्मनी में आठ साल तक सेवाएं देने के बाद वे वतन वापस आए और उमा रोबोटिक्स की स्थापना की। उन्होंने कहा कि उद्योगों में भारी वजन उठाने का काम इंसानों को करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस रोबोट से पूरा काम हो सकता है।

किसानों का मित्र बनेगा फार्मिंग ड्रोन

आईआईटी रुड़की के युवा फार्मिकोन स्टार्टअप के मालिक निखिल पंवार किसानों का मित्र ड्रोन लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि वे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से खेती-किसानी को स्मार्ट बनाने के लिए काम कर रहे हैं। ड्रोन से किसान 15 से 20 मिनट में एक एकड़ खेत में पेस्टीसाइड का स्प्रे कर सकते हैं। उन्हें मौसम की पूरी जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्रॉप डॉक्टर का ऐप लांच किया है, जिसके तहत किसान को अपनी फसल की तस्वीर ऐप पर अपलोड करनी है, जिससे पता चल जाएगा कि फसल को कोई बीमारी तो नहीं है। ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए हम किसानों को बाजार उपलब्ध करा रहे हैं। वेयर हाउस के लिए हम उन्हें कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध करा सकते हैं। विभिन्न मंडियों में फसल के मूल्य की भी जानकारी उन्हें मोबाइल ऐप के माध्यम से उपलब्ध करा रहे हैं।

कम खर्च वाली सस्ती ई-बाइक्स लेकर आ रहे विकास शाह

उत्तराखंड के युवा फ्लक्स मोटर्स स्टार्टअप के मालिक विकास शाह ई-वाहनों की श्रेणी में काम कर रहे हैं। ई-रेसिंग कार के अलावा अब उन्होंने दो ई-बाइक्स तैयार की है। वे कई माह से सफल ट्रायल कर रहे हैं। विकास ने बताया कि बाजार में वैसे तो बहुत से ई-स्कूटर मौजूद हैं लेकिन ई-बाइक्स उस स्तर की नहीं है। जो है तो वे बहुत महंगी और विदेशी हैं। हमने मेड इन इंडिया ई-बाइक्स तैयार की है, जिनकी कीमत 90 हजार से 1.20 लाख रुपये तक है। ये बाइक एक बार चार्ज होने में करीब 20 रुपये की बिजली खर्च करेगी और 250 किलोमीटर तक चलेगी। इनमें टॉप स्पीड 120 किमी प्रति घंटा तक रखी गई है। देहरादून के मोहब्बेवाला इंडस्ट्रियल एरिया में शुरुआती उत्पादन शुरू कर दिया है, अगले साल मार्च में उनकी ई-बाइक्स सड़क पर दौड़ती नजर आएगी।

उद्योगों से निकलने वाला जहर सोख लेगी डिवाइस

यूसी स्टार्टअप के डॉ. टी सिन्हा और गौरव द्विवेदी ने जीरो वेस्ट सीओ-2 कैप्चर डिवाइस का प्रोटोटाइप तैयार किया है। वे प्रदर्शन के लिए उसे निवेशक सम्मेलन में लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि जनवरी में इसका पहला प्लांट ऑयल इंडिया कंपनी में लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 में जिस प्रकार 2027 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन पर जोर दिया है, उस हिसाब से उनकी ये डिवाइस काफी कारगर होने वाली है। उन्होंने बताया कि उद्योग इसे अपने परिसर में लगाएंगे तो उनका पूरा कार्बन उत्सर्जन ये सोख लेगा। इससे निश्चित तौर पर कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी।

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