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उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से दोगुना कैदी: एक चिंताजनक स्थिति

  • किस जिले की जेल में कितने कैदी हैं और क्षमता कितनी है
  • उत्तराखंड की सामान्य जेलों में 3461 के स्थान पर 6603 कैदी बंद
  • RTI कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी सूचना से हुआ खुलासा

देहरादून: उत्तराखंड की 10 सामान्य जेलों में उसकी क्षमता 3461 से लगभग दोगुने 6603 कैदी बंद है। इसके अतिरिक्त सम्पूर्णानन्द शिविर सितारगंज (खुली जेल) में 48 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत कारागार मुख्यालय द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने महानिरीक्षक कारागार (कारागार मुख्यालय) उत्तराखंड से उत्तराखंड राज्य की जेलो में बंदियों की क्षमता तथा वर्तमान में बंद कैदियों की संख्या के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में मुख्यालय कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी /प्रशानिक अधिकारी मनोज खोलिया ने अपने पत्रांक 380 दिनांक 15 फरवरी 2024 से जेलों की क्षमता तथा बंदियों का विवरण उपलब्ध कराया है। नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार सम्पूर्णानन्द शिविर जेल सितारगंज (खुली जेल) तथा जिला कारागार चमोली के अतिरिक्त सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद है।
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार क्षमता से सर्वाधिक अधिक 347 प्रतिशत कैदी 102 क्षमता वाली जिला कारागार अल्मोड़ा में 354 कैदी है। दूसरे स्थान पर क्षमता के 271 प्रतिशत कैदी 555 क्षमता वाली उपकारागार हल्द्वानी में 1502 कैदी है। इसमें तीसरे स्थान पर क्षमता के 258 प्रतिशत कैदी 580 क्षमता वाली जिला कारागार देहरादून में 1499 कैदी बंद है। चैथे स्थान पर क्षमता के 239 प्रतिशत कैदी 71 क्षमता वाली जिला कारागार नैनीताल में 170 कैदी बंद है। पांचवें स्थान पर क्षमता के 180 प्रतिशत कैदी 244 क्षमता वाली रूड़की उपकारागार में 439 कैदी बंद है। छठे स्थान पर क्षमता के 151 प्रतिशत कैदी 888 क्षमता वाली जिला कारागार हरिद्वार में 1340 कैदी बंद है। सातवें स्थान पर क्षमता के 146 प्रतिशत कैदी 552 क्षमता वाली केन्द्रीय कारागार सितारगंज में 805 कैदी बंद है। आठवें स्थान पर क्षमता के 132 प्रतिशत कैदी 150 क्षमता वाली जिला कारागार टिहरी में 198 कैदी बंद है। नवें स्थान पर क्षमता के 112 प्रतिशत कैदी 150 क्षमता वाली जिला पौड़ी में 168 कैदी बंद है।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार प्रदेश में केवल दो जेले ही ऐसी है जिसमें निर्धारित स्वीकृत क्षमता से कम कैदी बंद है। इसमें एक विशेष जेल सम्पूर्णानन्द शिविर (खुली जेल) सितारगंज है जिसमें केवल सजायाफ्ता कैदियों को ही रखा गया है। इसकी क्षमता 300 कैदियों की है जबकि इसकी क्षमता के मात्र 16 प्रतिशत 48 कैदी ही इसमें बंद है। इसके अतिरिक्त सामान्य जेलों में स्वीकृत क्षमता से कम कैदियों वाली एकमात्र जेल जिला कारागार चमोली है। इसमें उसकी क्षमता 169 की अपेक्षा 76 प्रतिशत 128 कैदी ही बंद हैं।

मानवाधिकार संरक्षण तथा सूचना अधिकार सहित 44 पुस्तके के लेखक तथा सूचना अधिकार व मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों पर चिन्ता व्यक्त करते हुये, इसे कैदियों के संवैधानिक व मानव अधिकारों का हनन बताया है और उन्होंने उत्तराखंड के बड़े शहरों काशीपुर तथा रूद्रपुर में नयी जेलों, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत में जिला जेलों के निर्माण सहित वर्तमान जेलों की क्षमता बढ़ाने अधिक कैदियों को सामान्य के स्थान पर खुली जेल में रखने तथा कानूनों व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अन्तर्गत छोडे़ जाने योग्य कैदियों को सजा माफी, जमानत तथा पैरोल पर छोड़े जाने की मांग की है। इससे जहां कैदियों के अधिकारों की रक्षा होगी, वही इन पर किया जाने वाला सरकार का खर्च भी बचेगा।

यह एक जटिल समस्या है जिसके लिए सरकार, न्यायपालिका और समाज के सभी वर्गों के बीच समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।

हालत:

  • 13 जेलों में 7500 कैदी बंद हैं, जबकि क्षमता 3750 है।
  • 4000 कैदी क्षमता से अधिक हैं।
  • 50% से अधिक कैदी विचाराधीन हैं, जिनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं।

कारण:

  • धीमी न्यायिक प्रक्रिया
  • जमानत याचिकाओं में देरी
  • पुलिस द्वारा गिरफ्तारियों में वृद्धि
  • अपराध दर में वृद्धि

प्रभाव:

  • जेलों में भीड़भाड़
  • स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी सुविधाओं की कमी
  • कैदियों के बीच मानसिक तनाव और हिंसा का खतरा
  • पुनर्वास कार्यक्रमों की प्रभावशीलता में कमी

समाधान:

  • न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाना
  • जमानत याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय
  • जेलों की क्षमता में वृद्धि
  • वैकल्पिक दंड प्रणालियों का उपयोग
  • अपराधों की रोकथाम के लिए सामाजिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना

चिंता:

  • क्षमता से अधिक कैदियों की उपस्थिति जेलों में अमानवीय परिस्थितियों का निर्माण करती है।
  • यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है और कैदियों के पुनर्वास में बाधा डालता है।
  • सरकार को इस समस्या का समाधान करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • उत्तराखंड में 13 जेलें हैं, जिनमें से 12 सामान्य जेलें और 1 खुली जेल है।
  • अधिकांश जेलें पुरानी और जर्जर हैं, और उनमें क्षमता से अधिक कैदियों को रखने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
  • जेलों में स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता और सुरक्षा की कमी है।
  • कैदियों को शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसरों की कमी है।

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